Sunday, March 22, 2009

हां, होते हैं फरिश्ते

हां, होते हैं फरिश्ते

जिंदगी से बेहद हताश, बेहद उदास एक लड़की नदी किनारे बैठा रो रहा है। उसकी आंखों के सामने अंधेरा है, घुप्प अंधेरा। अचानक एक फरिश्ता उसकी जिंदगी में दाखिल होती है। जादू की छड़ी घुमाता है। सबकुछ बदल जाता है। उजाला ही उजाला। मंजिल साफ नजर आ रही है। मिल गया रास्ता लड़की भागती है अपनी मंजिल तक पहुंचती है। अब एक ऊंचाई जहां से खड़े होकर वह दुनिया देखती है। सारी दुनिया कदमों में। अचानक उसे याद आता है। कहां गया फरिश्ता, चिल्लाता है। अब वह फिर नदी किनारे जाती है। लेकिन इस बार मुस्कान के साथ। अब उजाला है।...कहानी खत्म। पाउलो कोइलो की कहानी, बाई द रीवर पीएड्रा/ सेट डाउन एंड वेप्ट। हमसे कइयों की जिंदगी की हकीकत बयां करती है यह कहानी। तीन चीजें भगवान पर भरोसा, लगन और मेहनत तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक पहुंचाएंगी। एक पं्रह साल की लड़की जो दुनिया से बगावत करने को उतारु थी। जो रात के अंधेरे में चौंक कर उठ जाती थी। जिसका रिस्तों पर से यकीन उठ चुका था। दरअसल, उसकी जंग दुनिया से नहीं खुद से थी। जो खामोश होकर चीखती थी। लेकिन उसकी खामोशी को दुनियावी लोगों ने अपने अपने ढंग से परिभाषित किया। कुछ उसे घमंडी, कुछ जिद्दी तो कुछ बदमिजाज कहते थे। पहली बार किसी ने उसकी खामोशी को सुना। बताया कि वह मासूम है, प्यारी है, खुबसूरत है। यकीन दिलाया कि तुम्हारे हिस्से का प्यार तुम्हें मिलेगा। यूं लगा मानों, सारे खिड़की, दरवाजे खुल गए अब रोशनी ही रोशनी। सब कुछ बदला-बदला। दुनिया बदली या वह, पता नहीं। पर आज वह दुनिया की सबसे प्यारी लड़की है। ऐसा उसका मानना है। क्योंकि अब उसे खुद से प्यार है। वह जीना चाहती है। असामां छोटा लगता है उसे उड़ान के लिए। बस डग भर की लगती है उसे पूरी धरती। हां, परियां होती हैं, फरिश्ते होते हैं। जो केवल हमें रास्ता दिखाने आते हैं। वह देखने में बिल्कुल हमारे-तुम्हारे जसे होते हैं। लेकिन उनकी आंखे बहुत गहरी होती हैं। उनका स्पर्श शायद मैं बयां नहीं कर सकती क्योंकि उसकी उपमा मेरे पास नहीं है। बस ऐसे लोग आते हैं, जरूर आते हैं। बशर्ते उन्हें कोई पुकारे तो.. आएंगे, जरूर आएंगे। क्योंकि उनका वादा है, उनका इरादा है दुनिया बदलने का।

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