Friday, December 21, 2012

...ताकि आगे इतना दर्द न मिले

मुझे किसी ने बताया कि लड़की ने लिखकर पूछा कि क्या उन्हें सजा हुई। (यह वही लड़की है जिसके लिए 16 दिसंबर की रात •ाारी गुजरी) दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत और जिंदगी के बीच झूल लड़की का यह सवाल जिसका जवाब हमें नहीं पता। क्योंकि हम नहीं जानते कि उन्हें सजा होगी या नहीं। होगी •ाी तो कितनी? क्या उस सजा से उस लड़की को तसल्ली मिलेगी? लड़की को मिली तकलीफ और उन लड़कों को मिली सजा में क्या बराबरी होगी? नहीं जानते। अचानक सोचा कि चलो दोनों की तुलना कर लें। सब साफ हो जाएगा। लड़की तो बोल नहीं सकती या झूठ •ाी बोल सकती है। डाक्टर से पूछकर सब साफ कर लेते हैं। तो आज डाक्टर ने बताया। लड़की गं•ाीर है। हम कोशिश कर रहे हैं कि वो बच जाए। लड़की •ाी जीना चाहती है। उसने ऐसा लिखकर बताया है। पर, अगर वो जी •ाी गई तो वह पूरी जिंदगी खाना मुंह से नहीं खा पाएगी। उसे पूरी जिंदगी नसों के जरिए खाना देना पड़ेगा। तो क्या, खाना तो खाती रहेगी। पर सबसे बड़ी बात तो यह है कि नसों के जरिए खाना देने पर हमेशा संक्रमण होने का डर रहेगा। और जो विटामिन और दवाएं पूरी जिंदगी के लिए चाहिए वो कतई सस्ते नहीं हैं। दूसरा इस लड़की को शार्ट सिंड्रोम नाम की बीमारी होने के •ाी आसार हैं। वो क्या? इस बीमारी में कुछ खाते ही फौरन शौच के लिए जाना पड़ता है। पर ऐसा क्या हुआ। बलात्कार के समय जब लड़की ने विरोध किया तो उन लोगों ने इसके पेट में लोहे की सरिया घुसा दी। जिससे इसकी छोटी आंत बुरी तरह जख्मी हो गई थी। इसलिए उसे निकालना पड़ा। और ये जो सारी दिक्कतें हैं, छोटी आंत न होने की वजह से हैं। ऐसी जिंदगी। यानी जब उसे नसों के जरिए पोषण दिया जाएगा। हर बार उसके दिमाग में वह हादसा जरूर घूमेगा। ऐसा ही तो होता है। जब कुछ गलत घटता है तो हम उन सारी चीजों को अवाइड करते हैं। जो उस हादसे से जुड़ी हों। लेकिन वो तो चाहकर •ाी ऐसा नहीं कर पाएगी। डाक्टर ने फिर कुछ बोलने के लिए जैसे ही अपने होंठ खोले। लगा अ•ाी •ाी बाकी है, क्या? अब इसके मां बनने में •ाी कई कठिनाईयां पैदा होंगी। इसके जननांग •ाी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। और आंत के जख्मी होने का असर •ाी इस पर पड़ेगा। अगर मां बन •ाी गई तो...बच्चा बचना बेहद मुश्किल होगा। लड़की की हालत और उसके दर्द का हिसाब किस सजा से मिलेगा? उन्हें फांसी देने से..। उनका बधियाकरण करने से। उन्हें •ाीड़ के हवाले करने से। कैसे? क्योंकि किसी •ाी सजा में उतना दर्द नहीं है, जितना उस लड़की के हिस्से आ गया है। लेकिन सजा तो जरूरी है। सख्त से सख्त। जिससे कम से कम लोग ऐसा करने से पहले सोचें। आगे किसी लड़की, बच्ची या औरत को इतना दर्द न मिले। अब और नहीं। सहानु•ाूति नहीं न्याय चाहिए।

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